अल्केमिस्ट

 ब्राजीलीयन लेखक पाउलो कोएल्हो का मूलतः पुर्तगाली में लिखा गया विश्वस्तरीय बहुचर्चित उपन्यास है जो पहली बार 1988 में प्रकाशित हुआ था। यह एक व्यापक रूप से अनुवादित उपन्यास है ; अब तक इसका 56 विभिन्न भाषाओँ में अनुवाद किया जा चुका है। हिंदी भाषा में इसका अनुवाद कमलेश्वर जी ने किया है।
अनुवादक कमलेश्वर जी लिखते हैं कि ‘अल्केमिस्ट’ का सटीक हिन्दी अनुवाद 'कीमियागर ' अर्थात साधारण धातु को सोने में बदलने की कला जाने वाला होता है; किंतु कीमियागर आम बोलचाल भाषा का शब्द नहीं है, इसलिए उपन्यास सार्वभौमिक लोकप्रियता को देखते हुए इसका शीर्षक अल्केमिस्ट रखा है।

कहानी का संक्षिप्त विवरण

यह कहानी 'सेंटियागो' नामक एक बालक द्वारा अपनी नियति तक पहुंचने की एक आलोकिक कहानी है । यह बालक अपनी घुमक्कर अभिरुचियों के कारण एक गडरिया बन जाता है। यह् कहानी आदि शंकराचार्य के 'अद्वैतवाद दर्शन' एवं अरविंदो के 'समग्र अद्वैतवाद दर्शन' से प्रभावित दिखाई देती है जहां प्रकृति का प्रत्येक कण् उस निराकार सत्ता की अभिव्यक्ति के रूप में दर्शाया प्रतीत होता है जिस कारण प्रत्येक जीव स्वत: ही अपने विकास की चरम अवस्था में पंडित दीनदयाल के एकत्म-मानववाद की आधारशिला पर विश्वत्मा से एकाकार करने हेतु आतुर दिखाई देता है इस कहानी में 'सेंटियागो' प्रकृति के प्रत्येक कण से कुछ सीखता है जिसे वह 'शकुन' कहता है ।
यह कहानी 'मकतूब ' अर्थात 'तुम्हारी नियति लिखी जा चुकी है' पर आधारित है। ईश्वर ने हर व्यक्ति के लिए एक पथ बनाया है तुम्हे बस उन चिन्हो को पहचानना व समझना होगा, जो उसने तुम्हारे लिए छोड़े हैं; और इन चिन्हो प्रकृति से एकाकार कर ही पहचाना व समझा जा सकता है जिसके लिए एक ही तरीका है और वह है 'कर्म' इस कहानी में 'सेंटियागो' घुमक्कड़ी जीवन के आनंद व रोमांच के साथ-साथ प्रकृति के पद चिन्हों को समझता हुआ स्पेन के अंडलूसिया प्रदेश से खाडी पार कर अफ्रीका महाद्वीप, फिर सहारा मरुस्थलपार कर मिस्र के पिरामिड  पहुंचता है और अंततः नियति द्वारा निर्धारित अपने खजाने को प्राप्त कर लेता है।

दार्शनिक पक्ष

यह एक अलौकिक उपन्यास है। जिसको पढ़ते समय आपको प्लेटो के तत्व मीमांसा दर्शन, आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन,श्री अरविंदो के पूर्ण द्वैत्तवाद एवम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की अनुभुति स्वत: ही होने लगेगी ।

उपन्यास के प्रेरक विचार

  • सपना साकार होने कि सम्भावनाए ही जीवन को रंगीन बनाती है। [पृष्ठ क्र-०८]
  • बहुत साधारण-सी दिखनेवाली चीजें ही हमारे जीवन मे सबसे असाधारण होती हैं, मगर इस बात को अक्लमन्द्द लोग ही समझ पाते हैं।[पृष्ठ क्र-११]
  • हमारे जीवन में एक ऐसा समय आता है जब हमारे साथ जो कुछ भी जो कुछ भी घटित होता है उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता और तब हमारे जीवन की बागडोर हमारी तकदीर के हाथों में चली जाती है यही दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है।[पृष्ठ क्र-१४]
  • हम जो भी हैं जो कुछ भी करते हैं वह तभी होता है जब हम उसे वास्तव में करना चाहते हैं क्योंकि इच्छा का स्रोत है विश्वात्मा ![पृष्ठ क्र-१७]
  • और जब तुम वास्तव में कोई वस्तु को पाना चाहते हो तो संपूर्ण सृष्टि उसकी प्राप्ति में मदद हेतु तुम्हारे लिये षड्यंत्र रचती है।[पृष्ठ क्र-१७]
  • लोग, जीवन के किसी भी दौर में अपना सपना साकार कर सकते हैं।[पृष्ठ क्र-१७]
  • सपने देखना कभी बंद मत करना । [पृष्ठ क्र-४८]
  • "सीखने का केवल एक ही तरीका है, वो है कर्म ।[पृष्ठ क्र-१०१]
  • केवल एक चीज है जो किसी सपने का पूरा होना असंभव बनाती है : असफलता का डर।[पृष्ठ क्र- ११४]

उपन्यास के व्यवहारिक जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण विचार

  • घुमक्कड़ को घूमते-फिरते कोई ना कोई ऐसा शहर जरूर मिल जाता है जहां पर कोई होता है, और फिर वह 'कोई' उनके घुमक्कड़ जीवन की बेलाग खुशियो और बेफिक्री को एकाएक उनसे छीन लेता है ।[पृष्ठ क्र-०४]
  • जब भी कोई व्यक्ति उन्हीं-उन्हीं लोगों को हर रोज देखता है, तो वे हमारे व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग बन जाते है और तब वे अपने अनुसार आप में बदलाव लाना चाहते हैं । अगर ऐसा नहीं होता, यानी आप अपने को उनकी इच्छाओ के अनुसार नही ढालते तो वे नाराज हो जाते हैं। हर आदमी यह तो जानता है कि दूसरों को अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए मगर खुद जीवन कैसे जिया जाए,यह उन्हे मालुम नही होता । [पृष्ठ क्र-१२]
  • लोग-बाग बहुत जल्द ही अपने जीवन में यह समझ लेते हैं कि उनके होने की वजह क्या है!……………… शायद इसलिए उतनी ही जल्दी वे अपने हाथ खड़े कर देते हैं! अक्सर ऐसा ही होता है। [पृष्ठ क्र-१९]
  • अगर तुम उस वस्तु को देने का वादा करते हो जो तुम्हारे पास अभी है ही नहीं, तो तुम उसे पाने के लिए प्रयत्न करने की इच्छा भी छोड़ सकते हो। [पृष्ठ क्र-१९]
  • जीवन में कुछ भी पाने के लिए उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। [पृष्ठ क्र-१९]
  • कभी-कभी जो चीजें जैसी है उन्हे वैसा ही छोड़ देना चाहिए। [पृष्ठ क्र-२१]
  • ईश्वर ने हर व्यक्ति के लिए एक पथ बनाया है तुम्हे बस उन चिन्हो को पहचानना और समझना होगा जो उसने तुम्हारे लिए छोड़े हैं। [पृष्ठ क्र-२३]
  • अधिकांश लोग इस दुनिया को अपने-अपने चश्मो से देखते हैं ताकि वे उसे वैसा देख सके जैसा वे चाहते है न कि वैसा, जैसा असल मे है। [पृष्ठ क्र-३२]
  • कुछ बातें ऐसी होती है जिनके बारे में नहीं पूछना चाहिए ताकि आप अपनी नियति से न भटक जाए। [पृष्ठ क्र-३३]
  • जब भाग्य् हमारा साथ दे रहा हो तो हमें उसका फायदा उठाना चाहिए। हमें भी उसकी उतनी ही मदद करनी चाहिए जितनी वह हमारी कर रहा है। यही सौभाग्य का सिद्धांत है जिसे लोग पहल करने वालों की तकदीर पुकारते है। [पृष्ठ क्र-४१]
  • तुम्हें हमेशा यह मालूम होना चाहिए कि तुम चाहते क्या हो ? [पृष्ठ क्र-४३]
  • खूबसूरती सभी को लुभाती है। [पृष्ठ क्र-४४]
  • मिली हुई दुआ को ठुकराओ तो वह लानत[अभिशाप] बन जाती है। [पृष्ठ क्र-४५]
  • पूर्वाभास और कुछ नहीं हमारी आत्मा का, एकाएक, सर्वव्यापी जीवनधारा में समा जाना है। [पृष्ठ क्र-५८]
  • उन लोगों को अज्ञात से कभी भयभीत नहीं होना चाहिए जिन्हे मालूम है कि उनकी जरूरते क्या है, वे क्या चाहते हैं और उन्हें हासिल कैसे किया जा सकता है। [पृष्ठ क्र-६०]
  • हमे डर लगा रहता है कि हमारे पास जो है उसे हम खो ना दे………… चाहे वह अपनी जिंदगी हो या जायदाद। मगर यह डर उस दिन खत्म हो जाता है जब हम समझने लगते हैं कि हमारी जीवन गाथा और इस विश्व का इतिहास, सब उसी के हाथ से लिखा हुआ है। [पृष्ठ क्र-६१]
  • हर आदमी का, सीखने का अपना ही तरीका होता है। [पृष्ठ क्र-६६]
  • अगर तुम अपने वर्तमान में मन लगाकर जी सको तो तुम हमेशा सुखी रहोगे। तुम्हें रेगिस्तान में भी जिंदगी दिखाई देगी………… क्योंकि जीवन क्या है?…… वह लम्हा, वह क्षण जो हम अभी जी रहे हैं। [पृष्ठ क्र-६७]
  • रेत के टीले तो हवा से इधर-उधर बदलते रहते हैं मगर रेगिस्तान कभी नहीं बदलता। [पृष्ठ क्र-७७]
  • वर्तमान अनिश्चितताओ से भरा होता है इसलिए सतर्कता के अलावा हमें जरूरी जानकारी भी होनी चाहिए। [पृष्ठ क्र-८०]
  • अगर तुमने वर्तमान सुधार लिया तो बाद में जो भी आनेवाला है वह भी आज से बेहतर होगा। [पृष्ठ क्र-८२]
  • जीवन ही जीवन को आकर्षित करता है। [पृष्ठ क्र-९२]
  • किसी से प्यार किया जाता है तो बस इसलिये कि उससे प्यार है प्यार करने के लिए किसी कारण की जरुरत नहीं होती।[पृष्ठ क्र- ९७]
  • लोग अपने सबसे अहम सपनों को साकार करने से पहले ही बीच में छोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें शक होता है कि वे उसके योग्य नहीं है या यह कि वे कभी उसे हासिल नहीं कर पाएंगे।[पृष्ठ क्र- १०४]
  • बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो उस पथ पर चलते हैं, जो उनके लिए बनाया गया था। वह पथ जो बढ़ता है उनकी नियति और बेइंतहा खुशी की ओर। ज्यादातर लोगों को यह दुनिया एक खौफनाक जगह लगती है………… क्योंकि वे ऐसा सोचते हैं……………… इसलिए होता भी ऐसा ही है। यह दुनिया सचमुच उनके लिए भयावह बन जाती है।[पृष्ठ क्र- १०५]
  • अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ जो कुछ भी हमने जीवन से सीखा है उस पर चलने की निपुणता हमें प्राप्त कर लेनी चाहिए। अक्सर यही पहुंच कर लोग हाथ खड़े कर देते हैं, हिम्मत छोड़ बैठते हैं।[पृष्ठ क्र- १०६]
  • रात का सबसे अन्धेरा पहर, भोर से ठीक पहले ही आता है।[पृष्ठ क्र- १०६]
  • जब तुम्हारे पास दुनिया के बहुमूल्य और नायाब खजाने होते हैं, और तुम उनके बारे में सही-सही बता देते हो, तो तुम्हारी बात का यकीन कोई विरला ही करता है।[पृष्ठ क्र- १०७]
  • जो कोई भी किसी दूसरे की नियति में दखलअंदाजी करता है, तो वह अपनी नियति भी खो बैठता है।[पृष्ठ क्र- ११०]
  • साधारणतया मौत का डर, लोगों को जिंदगी के बारे में जाना जानकार बना देता है।[पृष्ठ क्र- ११४]
  • यही है जिसे हम प्यार कहते हैं। जब कोई तुम्हें प्यार करता है तो तुम्हारे स्र्जन की कोई सीमा नहीं रहती। जब प्यार होता है, तो जो कुछ भी घटित हो रहा हो, उसे समझने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि सब कुछ तो तुम्हारे भीतर ही घटित हो रहा होता है।[पृष्ठ क्र- ११९]
  • आप बुद्धिमान है क्योंकि आप हर चीज को एक दुरी रख कर देखते हैं। [पृष्ठ क्र- १२१]
  • हर वस्तु की एक नियति है और यह कि हर वस्तु अपनी नियति को प्राप्त होगी। इसलिए प्रत्येक वस्तु को अपने से बेहतर स्वरूप में परिवर्तित होना होगा एक नई नियति पाने के लिए। और यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा,जब तक कि विश्वात्मा केवल एक ही वस्तु ना बन जाए, यानी-एकात्म [पृष्ठ क्र- १२१]
  • प्यार तो वह भावना और ताकत है, जो दुनिया की रूह को भी परिवर्तित करके और बढ़िया बना देती है। [पृष्ठ क्र- १२२]
  • सृष्टि के किसी भी पक्ष की तरह उसके भी अपने मनोविकार और संघर्ष हैं। हम ही उस विश्वात्मा का पोषण करते हैं और यह दुनिया उतनी ही बेहतर या बदतर होगी, जितना हम बेहतर या बुरे होंगे। [पृष्ठ क्र- १२२]
  • हर वो बात जो एक दफा होती है, दोबारा नहीं होती ; मगर हर वो बात जो दोबारा होती है तीसरी बार जरूर होती है। [पृष्ठ क्र- १२७]
  • कोई भी कार्य तब तक पूरा नहीं होता,जब तक कि उसका उद्देश्य प्राप्त ना हो जाए। [पृष्ठ क्र- १३१]
  • जिंदगी उन लोगों के लिए वाकई बहुत उदार होती है, जो अपनी नियति को खोजते हैं । [पृष्ठ क्र- १२७]

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